कुंडली में ऐसा हो तो बदल जाता है आपका पूरा जीवन-----
यदि किसी व्यक्ति की कुंडली मेष लग्न की है और उसके 10 वें, 11 वें या 12 वें घर में चंद्र हो तो जानिए इसके क्या-क्या प्रभाव होते हैं-
मेष लग्न की कुंडली में दशम भाव में बैठा चंद्र...
इस भाव में बैठे चंद्र की सातवीं दृष्टि माता, भूमि, संपत्तित के चौथे घर कर्क राशि पर पड़ रही है। इसके प्रभाव से व्यक्ति को माता की ओर से सुख एवं शांति की प्राप्ति होगी। भूमि, संपत्ति आदि का भी लाभ प्राप्त होता है। इन लोगों को पिता के साथ कई बार वाद-विवाद का सामना करना पड़ता है। माता के स्नेह और प्यार के कारण इन्हें जीवन में कई उपलब्धियां प्राप्त होती हैं।
मेष लग्न के 11वें या एकादश भाव में चंद्र हो तो...
इस भाव में चंद्र बैठा हो तो यहां से चंद्र की सातवी दृष्टि सूर्य की राशि सिंह पर पड़ रही है। यह पांचवा स्थान व्यक्ति को संतान के संबंध में भाग्यशाली बनाता है। इन लोगों को विद्या और बुद्धि के संबंध में उन्नति प्राप्त होती है। ऐसे व्यक्तियों को कुछ परेशानियों सताती हैं लेकिन आय के संबंध में कड़ी मेहनत से सफलता प्राप्त कर लेते हैं।
मेष लग्न के 12वें या द्वादश भाव में चंद्र हो तो...
इस भाव से चंद्रमा की सातवीं दृष्टि बुध की राशि कन्या पर पड़ रही है, इस वजह से व्यक्ति के जीवन में चिंताएं और पीड़ा बनी रहेगी। क्योंकि कन्या राशि का भाव शत्रु, चिंता और दर्द का कारक स्थान है। ऐसे लोग शत्रुओं के संबंध में शांतिपूर्वक रहते हैं। ये लोग बुद्धि और संतोष से ही काम लेते हैं। बाहरवां भाव बाहरी स्थानों का कारक स्थान है अत: इस भाव में चंद्र होने से व्यक्ति को बाहरी स्थानों से धन लाभ प्राप्त होगा।
यदि किसी व्यक्ति की कुंडली मेष लग्न की है और उसके 10 वें, 11 वें या 12 वें घर में चंद्र हो तो जानिए इसके क्या-क्या प्रभाव होते हैं-
मेष लग्न की कुंडली में दशम भाव में बैठा चंद्र...
इस भाव में बैठे चंद्र की सातवीं दृष्टि माता, भूमि, संपत्तित के चौथे घर कर्क राशि पर पड़ रही है। इसके प्रभाव से व्यक्ति को माता की ओर से सुख एवं शांति की प्राप्ति होगी। भूमि, संपत्ति आदि का भी लाभ प्राप्त होता है। इन लोगों को पिता के साथ कई बार वाद-विवाद का सामना करना पड़ता है। माता के स्नेह और प्यार के कारण इन्हें जीवन में कई उपलब्धियां प्राप्त होती हैं।
मेष लग्न के 11वें या एकादश भाव में चंद्र हो तो...
इस भाव में चंद्र बैठा हो तो यहां से चंद्र की सातवी दृष्टि सूर्य की राशि सिंह पर पड़ रही है। यह पांचवा स्थान व्यक्ति को संतान के संबंध में भाग्यशाली बनाता है। इन लोगों को विद्या और बुद्धि के संबंध में उन्नति प्राप्त होती है। ऐसे व्यक्तियों को कुछ परेशानियों सताती हैं लेकिन आय के संबंध में कड़ी मेहनत से सफलता प्राप्त कर लेते हैं।
मेष लग्न के 12वें या द्वादश भाव में चंद्र हो तो...
इस भाव से चंद्रमा की सातवीं दृष्टि बुध की राशि कन्या पर पड़ रही है, इस वजह से व्यक्ति के जीवन में चिंताएं और पीड़ा बनी रहेगी। क्योंकि कन्या राशि का भाव शत्रु, चिंता और दर्द का कारक स्थान है। ऐसे लोग शत्रुओं के संबंध में शांतिपूर्वक रहते हैं। ये लोग बुद्धि और संतोष से ही काम लेते हैं। बाहरवां भाव बाहरी स्थानों का कारक स्थान है अत: इस भाव में चंद्र होने से व्यक्ति को बाहरी स्थानों से धन लाभ प्राप्त होगा।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें