क्या आपके कार्य को किसी की बुरी नजर/बद्नजर लगी है ????
लेखक - मानसश्री गोपाल राजू (वैज्ञानिक)
लेखक - मानसश्री गोपाल राजू (वैज्ञानिक)
किसी भी शनिवार को दुकान बंद करने से पूर्व उसमें एक मुठठी साबुत उड़द की दाल बिखेर दें। दुकान के प्रवेष द्वार पर ( जिससे अधिकांषतः आना-जाना हो) बाहर से अंदर जाते समय बायीं ओर धरती पर हल्दी के घोल से स्वास्तिक बना लें। इस पर कच्चे सूत के एक धागे का छोर रखें। दुकान के अंदर क्रमषः बांये से दांये चलते हुए सूत इस प्रकार छोड़ते चलें कि अंदर से पूरी दुकान सूत से बंध जाये। सूत का दूसरा छोर बांयीं ओर बने स्वास्तिक पर समाप्त करें। धूप-दीप आदि कोई उपक्रम करते हैं तो आपके अपने ऊपर है। अब दुकान को बंद करके निःषब्द घर लौट आयें। अगले दिन अर्थात् रविवार को प्रातः काल 7-8 बजे से पूर्व दुकान खोलें। जिस क्रम से धागा बिछाया था उसके विपरीत क्रम अर्थात् दायें से बायें घूमते हुए धागा उठा कर समेंट लें। जितने बिखरे हुए दाल के दानें मिल सकते हों वह भी जमां करलें। इन्हें हाथ से चुनें, झाड़ू से एकत्र न करें। धागे को वहां ही जला दें। इसकी राख, उड़द की दाल के दानें पहले से क्रय किए हुए 1-2 किलो बाजरे में मिला लें। यह सब लेकर कहीं किसी नदी के किनारे बैठ जाएं। थोड़ा से बाजरा अपने एक हाथ में रखें। दूसरे से बहते हुए पानी को इस पर छोड़ें। बाजरे को धीरे-धीरे उंगलियों के मध्य बनें छिद्रों से गिर कर नदी में बहने दें। जब एक हाथ थक जाए तो यह क्रम हाथ बदल कर तब तक करते रहें जब तक कि सारा बाजरा विसर्जित न हो जाए। इसके बाद निःषब्द घर अथवा दुकान लौट जाएं। इस पूरे काल में कोई भी लक्ष्मी प्रदायक मंत्र निरंतर जपते रहें। ‘‘¬ नमो नारायणाय’’ मंत्र सबसे अधिक प्रभावषाली सिद्ध होता है, ऐसा अनेक दुकान दारों को अनुभूत हुआ है। इस बात का ध्यान अवष्य रखें कि बाजरा बहाने में कुछ समय अवष्य लगे। ऐसा न हो कि जल्दी से वह छोड़ कर आप लौट आएं। एक शब्द पुनः कहूंगा, इस उपाय से आपको अच्छा अवष्य लगेगा।
लेखक - मानसश्री गोपाल राजू (वैज्ञानिक)
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