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शुक्रवार, अगस्त 05, 2011

किस वार में क्या करें ?


किस वार में क्या करें ?


रवि आदि सप्त वारों की प्रकृति एवम उनमें किए जाने वाले कार्यों का वर्णन पुराणों ,मुहूर्त ग्रंथों एवम फलित ज्योतिष ग्रंथों के अनुसार निम्नलिखित अनुसार है ---------

वार 
प्रकृति
यात्रा मेंदिशा 
त्याज्यदिशा 
किए जाने वाले कार्य 
रविवार 
ध्रुव 
पूर्व ,उत्तर , ,अग्नि कोण 
पश्चिम ,वायव्य 
गृह प्रवेश ,राज्य कार्य ,स्वर्ण एवम ताम्बे का क्रय विक्रय तथा धारण करना ,विज्ञानं ,अनाज ,अग्नि एवम बिजली के कार्य 
सोमवार 
सम 
दक्षिण ,पश्चिम ,वायव्य 
उत्तर ,पूर्व ,आग्नेय 
राज्याभिषेक ,गृह शुभारम्भ ,कृषि ,लेखन ,दूध -घी व तरल पदार्थों का क्रय विक्रय । 
मंगलवार
उग्र 
दक्षिण , पूर्व,अग्नि कोण
पश्चिम,,वायव्य , उत्तर
विवाद एवम मुकद्दमे का आरम्भ ,शस्त्र अभ्यास ,शौर्य के कार्य ,शल्य चिकित्सा ,बिजली के कार्य ,अग्नि से संबधित कार्य ,धातुओं का क्रय विक्रय 
बुधवार 
चर,सौम्य 
दक्षिण ,
नैऋत्य ,पूर्व
उत्तर ,पश्चिम ,ईशान 
यात्रा,मंत्रणा ,लेखन ,गणित ,शेयर ,व्यापार,ज्योतिष ,शिल्प ,लेखा कार्य ,शिक्षा ,बोद्धिक कार्य,संपादन ,संदेश भेजना ,मध्यस्थता करना 
गुरुवार 
क्षिप्र 
उत्तर ,पूर्व ,ईशान 
दक्षिण , पूर्व , नैऋत्य , 
यात्रा ,धार्मिक कार्य ,विद्याध्ययन ,बैंक का कार्य ,वस्त्र अलंकार धारण करना ,प्रशासनिक कार्य,स्वर्ण का क्रय ,पुत्र एवम गुरु से सम्बंधित कार्य
शुक्रवार 
मृदु 
पूर्व उत्तर ईशान 
नैऋत्य ,पश्चिम ,दक्षिण 
गृह प्रवेश ,कन्या दान ,सहवास ,नृत्य ,गायन ,संगीत ,कलात्मक कार्य ,आभूषण ,श्रृंगार ,सुगन्धितपदार्थ ,वस्त्र ,वाहन क्रय ,चाँदी ,सुखोपभोग के साधन
शनिवार 
दारुण 
नैऋत्य,पश्चिम ,दक्षिण 
पूर्व उत्तर ईशान

गृहारंभ ,गृह प्रवेश ,विवाद के लिए गमन ,तकनीकी कार्य ,शल्य क्रिया ,क्रूर कार्य ,प्लास्टिक -तेल -पेट्रोल का कार्य या क्रय विक्रय ,लकड़ी ,सीमेंट 

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