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शुक्रवार, अगस्त 05, 2011

हस्तरेखा बताती हे भावी जीवन साथी केसा होगा..???


हस्तरेखा बताती हे भावी जीवन साथी केसा होगा..???


जिस प्रकार कोयल और कौवे के छोटे बच्चों को देखकर उनके बिना बोले यह बताना कठिन होता है कि कौनसा बच्चा कौवे का है और कौनसा कोयल का।  इसी प्रकार किसी भी युवक या युवती को बगैर परखे उसके स्वभाव और व्यवहार के बारे में बताना कठिन ही नहीं बल्कि असम्भव भी है।  अगर बात विवाह की आती है तो ये और भी जरूरी हो जाता है कि भावी जीवन साथी (लड़का या लड़की) कैसा है।  क्यों कि यह सम्बन्ध जातक को अन्त तक निभाने पड़ते हैं।  हस्तरेखा के माध्यम से हम आसानी से होने वाले जीवन साथी के जीवन का सम्पूर्ण बाॅयोडाटा आसानी से जान सकते हैं।  


1 यदि बुध क्षेत्रा के आसपास विवाह रेखा के साथ-साथ दो-तीन रेखाएं चल रही हों तो जीवन में पत्नी के अलावा उसका सम्बन्ध दो-तीन स्त्रिायों से रहता है।  
2 यदि चन्द्र पर्वत से कोई रेखा आकर विवाह रेखा से मिले तो ऐसा व्यक्ति भोगी, कामुक तथा गुप्त प्रेम रखने वाला होता है।  
3 हथेली में सबसे उभरा हुआ स्थान शुक्र पर्वत का होता है।  इस पर्वत पर खड़ी लाइनें विवाह सम्बन्धी सूचनाएं देती हैं।  इस पर्वत पर टेड़ी रेखाओं की संख्या यदि ज्यादा है तो ऐसे व्यक्ति के जीवन में किसी स्त्राी या पुरूष का प्रभाव रहता है।  
4 यदि प्रारम्भ में विवाह रेखा एक किन्तु बाद में दो से अधिक रेखाओं में विभक्त हो जाए तो ऐसी स्थिति में व्यक्ति अत्यधिक कामुक स्वभाव का होता है।  
5 यदि शुक्र पर्वत पर द्वीप का चिन्ह् हो तथा उससे एक सहायक रेखा निकल कर बुध पर्वत पर जाकर समाप्त होती हो तो जातक गुप्त रूप से विपरीत लिंगी के प्रेम में लिप्त रहता है।  
6 यदि कोई अन्य रेखा विवाह रेखा में आकर या विवाह रेखा स्थल पर आकर मिल रही हो तो प्रेमिका के कारण उसका गृहस्थ जीवन नष्ट हो जाता है।  
7 यदि प्रणय रेखा आरम्भ में पतली और बाद में गहरी होती जाती है तो यह स्पष्ट करती है कि व्यक्ति का किसी एक स्त्राी अथवा पुरूष के प्रति आकर्षण एवं लगाव आरम्भ में कम था, किन्तु बाद में धीरे-धीरे प्रगाढ़ होता गया है।  ऐसी स्थिति में प्रायः पति-पत्नि एक-दूसरे को अधिक प्यार करते हैं।  
8 यदि हथेली में विवाह रेखा एवं कनिष्ठका अंगुली के मध्य से जितनी छोटी एवं स्पष्ट रेखाएं हो तो जातक/जातिका के विवाहोपरान्त अथवा पहले उतने ही प्रेम सम्बन्ध होते हैं।  
9 यदि विवाह रेखा स्पष्ट तथा ललिमा लिए हुए हो तो उस व्यक्ति का वैवाहिक जीवन अत्यंत सुखमय होता है।  
10 यदि विवाह रेखा आगे जाकर दो भागों में बंट जाए और उसकी एक शाखा हृदय रेखा को छू रही हो तो वह व्यक्ति पत्नी के अलावा अपनी साली से भी वैवाहिक सम्बन्ध स्थापित कर सकता है अथवा अन्य स्त्रिायों से भी उसके प्रेम सम्बन्ध होते हैं।  
11 गुरू पर्व का सामान्य उभार विवाह की प्रेरणा देता है एवं इस पर क्राॅस या गुणा का निशान होना शुभ विवाह का संकेत देता है।  यदि यह गुणक या क्राॅस जीवन रेखा के नज़दीक हो तो जातक का विवाह शीघ्र ही होगा।  
12 यदि हाथ में विवाह रेखा के अन्त में स्टार का चिन्ह् हो तो ऐसे व्यक्ति के प्रेम सम्बन्ध बहुत छिपाने के पश्चात् भी छुपे हुए नहीं रहते।  अर्थात् सभी को पता चल जाता है और उसके प्रेम में अनेकों रूकावटें पैदा हो जाती है और तनाव का सामना करना पड़ता है।  
13 यदि मंगेतर के हाथ में प्रणय रेखा आरम्भ में निर्दोष एवं स्पष्ट है किन्तु बाद में वह चित्तानुसार हूक का रूप धारण कर लेती है तो ऐसी स्थिति व्यक्ति के प्रेम सम्बन्धों के टूटने का द्योतक है तथा व्यक्ति प्रेम सम्बन्धों का बिखराव स्थायी होता है।  
14 यदि गुरू पर्वत उन्नत हो और उस पर वर्ग का चिन्ह् हो तथा शुक्र पर्वत पर स्थित वर्ग के मध्य जाकर समाप्त होती हो तो जातक का किसी से गुप्त प्रेम होता है।  


                 यदि हाथ में चन्द्र पर्वत से ऊपर की ओर उठती हुई कुछ रेखायें जो आगे चलकर भाग्य रेखा से जा मिलती है तो प्रेम व विवाह के सम्बन्ध में महत्वपूर्ण सूचनायें देती हैं।  ऐसे जातक पत्नी अथवा प्रेमिका के भाग्य का भी बहुत यश प्राप्त करते हैं।ये प्रेम में सफल होते हैं।


 पं0 दयानन्द शास्त्री 
विनायक वास्तु एस्ट्रो शोध संस्थान ,  
पुराने पावर हाऊस के पास, कसेरा बाजार, 
झालरापाटन सिटी (राजस्थान) 326023
मो0 नं0...09024390067

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