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रविवार, जुलाई 31, 2011

कैसे बनाये ग्रहों को अपने अनुकूल ..????


 कैसे बनाये ग्रहों को अपने अनुकूल ..????


 कहा जाता हैं ’’ ग्रहा धिंन जगत सर्वम ’’ अर्थात प्रत्येक मनुष्य ग्रह के अधीन रहकर कार्य करता हैं और सांसारिक सुख एवं दुखः को भोगता हैं। किन्तु मनुष्य अपने सुख का समय तो आराम से बिता लेता हैं और जैसे ही कष्ट प्राप्त होते हैं उस समय उसे ईश्वर के शरणागत होना पड़ता हैं। अपने पूज्य श्रेष्ठ लोगों से राय मशवरा लेकर समय बिताना होता हैं। उसी परेशानी के हल हेतु जब वह किसी विज्ञ ज्योतिषी के पास जाता हैं तो ग्रहों के प्रतिकूल होने की जानकारी प्राप्त करता हैं। उन्हें अनुकूल बनाने हेतु उसे कई उपाय करना होते हैं इस हेतु आप निम्न उपाय कर ग्रहों का प्रतिकूल से अनुकूल बना सकते हैं। ये उपाय परिक्षती हैं और सहजता से कम खर्च में स्वंय के द्वारा अथवा सामान्य सहयोग लेकर किये जा सकते हैं। 


सूर्य के प्रतिकूल होने पर: - 
1. भगवान सूर्य नारायण को ताँबे के लौटे से सूर्योदय काल में जल चढ़ावें व 3ाोहम सूर्याय नमः का जाप करें। 
2. भगवान सूर्य के पुराणोक्त, वेदोक्त अथवा बीच मंत्र से किसी एक का 28000 बार जाप करें अथवा योग्य ब्राह्मण से करवायें।  
3. सूर्य यंत्र को अपने दाहिने हाथ बांधे।
4. रविवार को भोजन में नमक का सेवन न करें। 
5. सूर्योदय पूर्व उठकर पवित्र हो सूर्य नमस्कार करें। 


चन्द्र के प्रतिकूल होने पर: - 
1. भगवान शिव की अराधना सूर्योदय काल में करें। 
2. भगवान शिव के स्त्रोत पाठ करें। 
3. चन्द्र के पुराणोक्त, वेदाक्त अथवा बीज मंत्र में से किसी एक का 44000 बार जाप करें अथवा जाप करवायें। 
4. सोमवार का व्रत करें। 
5. मोती, दूध, चांवल अथवा सफेद वस्तु का दान करें। 


मंगल ग्रह के प्रतिकूल होने पर: - 
1. मंगलवार का व्रत करें। 
2. भगवान हनुमान जी की अराधना करें। 
3. मंगल के पुराणोक्त, वेदोक्त, तंत्रोक्त अथवा बीज मंत्र का 40000 बार जाप करें। 
4. मसूर की दाल, लाल वस्त्र, मूंगा आदि का दान करें। 
5. हनुमान चालीसा अथवा सुन्दर काण्ड का पाठ प्रातः काल में करें। 


बुध ग्रह के प्रतिकूल होने पर: -  
1. भगवान गणेश जी की अराधना करें। 
2. आप कोई भी बुध मंत्र 34000 बार जाप करें। 
3. बुध स्त्रोत का पाठ करें। 
4. मूंग की दाल, हरे वस्त्र, पन्ना आदि का दान करें। 
5. विद्वानों को प्रणाम करें व सम्मान करें। 


गुरू के प्रतिकूल होने पर: - 
1. सूर्योदय पूर्व पीपल की पूजा करें। 
2. भगवान नारायण (विष्णु) की आराधना करें व सन्तों का सम्मान करें।

 शुक्र के प्रतिकूल होने पर: - 
1. शुक्र स्त्रोत का पाठ करें। 
2. नारीजाति का सम्मान करें। 
3. सफेद चमकीले वस्त्र एवं सुगन्धित तेल आदि वस्तुओं का दान करें। 
4. ॐ  शुक्राय नमः या अन्य किसी शुक्र मंत्र का 64000 बार जाप करें। 
5. औदुम्बर वृक्ष की जड़ को दाहिने हाथ पर सफेद डोरे में बाँधे। 


शनि के प्रतिकूल होने पर: - 
1. शनि स्त्रोत का पाठ करें एवं किसी भी शनि मंत्र का 92000 बार जाप करें। 
2. जूते, चप्पल, लोहे, तेल आदि का दान करें। 
3. शनिवार का व्रत करें एवं रात्रि में भोजन करें। 
4. हनुमान चालीसा अथवा सुन्दर काण्ड का पाठ करें। 
5. नित्य हनुमान जी के दर्शन कर कार्य प्रारम्भ करें। 


राहू के प्रतिकूल होने पर: - 
1. भगवान शिव की अराधना करें। 
2. राहू के मंत्र का जाप करें। 
3. गरीब व निम्न वर्ग के लोगों की मदद करें। 
4. राहू स्त्रोत का पाठ करें। 
5. सर्प का पूजन करें। 


केतु के प्रतिकूल होने पर: - 
1. भगवान गणेश जी की अराधना करें। 
2. प्रतिदिन स्वास्तविक के दर्शन करें। 
3. केतु के मंत्र का जाप करें। 
4. गणेश चतुर्थी का व्रत करें। 
5. लहसुनियां का दान करें। 


  पं0 दयानन्द शास्त्री 
विनायक वास्तु एस्ट्रो शोध संस्थान ,  
पुराने पावर हाऊस के पास, कसेरा बाजार, 
झालरापाटन सिटी (राजस्थान) 326023
मो0 नं0 ...09024390067

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